समय कि कमी के कारण चांदनी चौक के लिए ऑटो ही ले लिया वरना मेट्रो एक 'इकोनोमिकल आप्शन' था.ऑटो वाले भैय्या को छेड़ने कि बड़ी गन्दी आदत बहुत पहले एक सिनिअर से लग गयी थी सो इस बार भी गंतव्य तक पहुचने से पहले मैंने व्याप्त शांति को खंडित करने के लिए इसी का सहारा लिया.
हमारी बात जो एक ऑटो खरीदने में लगने वाली लागत और उसमे होने वाली दलाली से शुरू हुई थी वो भारत के तमाम राजनितिक पहलुओ का जायज़ा लेने के बाद ही ख़त्म हुई.